Saturday 21 May 2016

असम चुनाव के रणनीतिकार

चुनाव जीतने के लिए अब केवल राजनीतिज्ञ के कोरे वादे से काम नहीं चलने वाला है. अब तकनीक के साथ कुछ नए नारे बनाने होते हैं। प्रचार में तकनीक का सहारा लेना होता है। सत्तासीन पार्टी की बाल के खा भी उधेड़ने होते हैं! और यही सब काम किया असम चुनाव के इलेक्शन स्ट्रैटेजिस्ट रजत सेठी ने। मोदी को लोकसभा चुनाव में जीत दिलाने वाले प्रशांत किशोर के कांग्रेस से जुड़ने के बाद बीजेपी को नया किंगमेकर मिल गया है। असम में मिली जीत में इलेक्शन स्ट्रैटेजिस्ट रजत सेठी का अहम रोल बताया जा रहा है।  29 साल के ग्रेजुएट रजत ने बीते साल नवंबर में असम के लिए कैम्पेन शुरू किया था। उनकी टीम की मेहनत का नतीजा यह रहा कि बीजेपी अब नॉर्थ ईस्ट में पहली बार किसी राज्य में सरकार बनाने जा रही है। 126 सीटों वाली असम विधान सभा में बीजेपी+ को 86, कांग्रेस को 26, एआईयूडीएफको 13 और अन्य को 1 सीटें मिली हैं। BJP के स्ट्रैटजिस्ट्स की टीम 6 महीने में 6 लोगों के साथ मिलकर 20 घंटे काम कर असम में BJP को दिलाई जीत दिलाई है ऐसा कहा जा रहा है....
कानपुर के रहने वाले रजत सेठी ने आईआईटी खड़गपुर से पढ़ाई की है। बाद में उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पब्लिक पॉलिसी में ग्रेजुएशन किया। उनके परिवार की संघ से करीबी का रिश्ता रहा है। 2012 में पढ़ाई के लिए अमेरिका गए।  2014 में रजत हार्वर्ड इंडिया एसोसिएशन के लिए इवेंट्स कराते थे। एक बार जब राम माधव वहां गए तो वे उनके संपर्क में आए। 2015 में पढ़ाई पूरी करने के बाद माधव के कहने पर रजत भारत लौटे और बीजेपी से जुड़ गए।
रजत ने टीम बनाने की शुरुआत की। 6 लोगों की टीम में 4 IIT खड़गपुर के पास आउट थे। 2 मेंबर ऐसे थे जो प्रशांत किशोर की टीम में रहे थे। उन्होंने नवंबर 2015 से असम में काम शुरू किया। बीजेपी के लिए रजत ने 'असम निर्माण' का नारा दिया। हर दिन 20 घंटे काम करते हुए पूरी टीम राम माधव और अमित शाह के कॉन्टेक्ट में रहती थी। टीम ने पब्लिक के बीच डायलॉग सीरिज चलाई, टी-लेबर्स, एजुकेशन, स्किल डेवलपमेंट और सोशल वेलफेयर जैसे मुद्दों को उठाया। वर्ल्डबैंक में काम कर चुके रजत ने बताया, ''हमारी स्ट्रैटजी थी कि हर दिन कुछ नया करते हुए कांग्रेस या उनके लीडर पर सीधे टारगेट करें। ताकि कांग्रेस बैकफुट पर रहकर सिर्फ जवाब दे सके। इसका फायदा हमें ऐसे मिला कि कांग्रेस का कैम्पेन आचार संहिता लागू होने के सिर्फ एक महीने पहले ही शुरू हो पाया।''  रजत ने बताया कि हार्वर्ड में कोर्स के दौरान प्रोजेक्ट वर्क के लिए उन्होंने कुछ महीनों तक हिलेरी क्लिंटन के लिए कैम्पेन किया है।  उनके कोर्स में कैम्पेन मैनेजमेंट का एक प्रोजेक्ट था। इस दौरान उन्हें अमेरिका के इलेक्शन मैनेजमेंट को समझने का मौका मिला।
कैम्पेन स्ट्रैटजी रजत की 6 लोगों की टीम में आशीष सोगानी, महेंद्र शुक्ला, शुभ्रास्था, शिखा, और आशीष मिश्रा थे। शुभ्रास्था पहले प्रशांत की टीम में थीं। 2015 में बिहार में महागठबंधन को लेकर उनके प्रशांत से मतभेद हुए और फिर वे उनकी टीम से अलग हो गईं। टीम की सीनियर मेंबर शुभ्रास्था ने मीडिया से बातचीत में बताया कि मोदी ने एक बार अपने भाषण में गरीबों को 2 रुपए प्रतिकिलो चावल देने की स्कीम का जिक्र किया था। इस स्कीम की काफी अपील थी। वहीं, अमित शाह ने अपने बयानों में अहम मुद्दे उठाए। ये सारी चीजें हमारी टीम ने ड्राफ्ट की और सजेस्ट की थीं। शुभ्रास्था ने बताया, ''हमने 175 से ज्यादा RTI लगाकर गोगोई के खिलाफ माहौल का फायदा उठाया। पार्टी के टॉप लीडर्स तक हमारे लिए एक मैसेज पर एक्सेस था। इसके चलते हर स्टेप पर मिले उनके सपोर्ट ने विनिंग स्ट्रैटजी को मजबूती दी।''
सबसे पहले इन लोगों ने बूथ से लेकर हर विधान सभा सीट का एनालिसिस किया और वहां के मुददों और जरूरतों को समझकर एक विजन डॉक्युमेंट बनाया। हर सीट के लिए माइक्रो मैनेजमेंट किया। सोशल मीडिया पर ये कांग्रेस से बहुत आगे रहे। फेसबुक के जरिए इन्होंने करीब 30 लाख लोगों तक अपनी पहुंच बनाई और वाट्सएप के जरिए भी यूथ से कॉन्टेक्ट किया। जबकि फेसबुक पर कांग्रेस केवल 5 से 10 हजार लोगों तक सिमटी रही।
एनालिसिस और माइक्रो मैनेजमेंट के बाद ही एजीपी के साथ एलायंस करने का फैसला किया गया। हालांकि असम बीजेपी के लोकल लीडर्स इसके खिलाफ थे। टीम ने एनालिसिस में बताया कि 2014 के लोक सभा चुनाव में एजीपी ने करीब 3 से 4 फीसदी वोट हासिल किया थे। तर्क दिया कि लोक सभा चुनाव में जब ये पार्टी इतना वोट हासिल कर सकती है, तो असेंबली इलेक्शन में तो और भी अच्छा कर सकती है।
चुनावों से पहले सर्बानंद सोनोवाल को सीएम पद का कैंडिडेट बनाया जाना भी इस टीम की स्ट्रैटजी का ही हिस्सा था। असम में बीजेपी पर आरोप लगता था कि यह हिन्दी भाषी स्टेट्स की पार्टी है। इसकी काट के लिए टीम ने एक ट्राइबल लीडर को सीएम पद का चेहरा बनाने की राय दी। तरुण गोगोई के करीबी हिमंता बिस्वा सर्मा को तोड़ना और उनसे जमकर रैली करवाने का फैसला भी बेहद फायदेमंद रहा। हेमंत बिस्वा ने बाद में राहुल गाँधी की खिल्ली भी उड़ाई हेमंत ने कहा – राहुल से मिलना उनके कुत्ते से मिलने के बराबर था 
सर्मा ने 2 हफ्तों में 200 रैलियां की। इन रैलियों में नारा लगाया जाता था कि 'असम में आनंद लाना है, तो सर्बानंद को लाना है'। इसके अलावा बांग्ला देशी मुस्लिमों का मुद्दा उठाना भी फायदेमंद रहा। रजत का कहना है कि इस मुद्दे की वजह से असम के मुस्लिमों का वोट उन्हें मिला।
बीजेपी के स्ट्रैटजिस्ट की टीम में शामिल आशीष मिश्रा ने मीडिया को बताया, ''हमने रोज 20 घंटे तक काम कर डाटा जुटाया। मुद्दे उठाने के लिए कई आरटीआई फाइल कीं। सबसे खास बात यह थी कि इलेक्शन कैम्पेन में सर्बानंद सोनोवाल के पोस्टर के साथ कांग्रेस कैंडिडेट तरुण गोगोई की बजाय कांग्रेस की अलायंस पार्टी AIUDF  के नेता बदरुद्दीन अजमल की फोटो लगाई जाती थी। इसके पीछे स्ट्रैटजी यह थी कि पूरे कैम्पेन में गोगोई को वेटेज न मिले और जनता के बीच उनकी रिकॉल वैल्यू कम रहे।''
शिखा का कहना है, हम यूपी में BJP के लिए कैंपेन के लिए तैयार हैं। आखिरी फैसला पार्टी हाई कमान को करना है। हमारी स्ट्रैटजी थी कि कांग्रेस खुद कुछ नया कैंपेन करने की जगह हमारे कैंपेन का रिस्पॉन्स एंड ही बनी रहे। और ऐसा ही हुआ।
इसके अलावा आरएसएस के समर्पित कार्यकर्ता भी काफी दिनों से असम में भाजपा के लिए जमीन तैयार कर रहे थे. वे जमीनी स्तर के लोगों से मिलकर भाजपा के पक्ष में माहौल बना रहे थे. इन सबका लाभ भाजपा को मिला. प्रधान मंत्री ने रैलियों में असम के वेश भूषा पहनकर वहां के लोगों से आत्मीयता स्थापित की.
अब आइए आपको बताते हैं रजत के बारे में दस बातें- 1. रजत सेठी कानपुर के रहने वाले हैं.
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इन्‍होंने आरएसएस के स्‍कूल शिशु मंदिर से पढ़ाई की. 3. आईआईटी खड़गपुर से सेठी ने बीटेक किया. 4. खड़गपुर में इन्‍होंने एक हिंदी सेल की शुरुआत की. 5. इसके बाद अमेरिका में एमआईटी और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पब्लिक पॉलिसी में इन्‍होंने पढ़ाई की. 6. सेठी ने एक आईटी कंपनी भी डाली, जिसे बाद में इन्‍होंने बेच दिया. 7. राम माधव से मुलाकात के बाद और उनके कहने पर सेठी ने बीजेपी ज्‍वॉइन की. 8. राम माधव ने सेठी को 32 जिलों, 25 हजार बूथों पर काम करने के लिए कहा. 9. सेठी की टीम ने गुवाहाटी को अपना हेडक्‍वार्टर चुना और 20-20 घंटे काम किया. 10. 400 युवाओं को अपनी टीम में इन्‍होंने शामिल किया.
बंगाल में ममता दीदी का गरीबों, मुसलमानों, बंगलादेशियों के प्रति झुकाव और उनके हित में किये गए काम को लोगों ने पसंद किया. यही हाल जयललिता के बारे में भी कहा जाता है. उन्होंने भी तमिलनाडु की जनता के लिए सरकारी खजाने से खोब धन वर्षा की. लोगों को उनके जरूरत के सामन मुहैया कराये. यानी यहाँ ये दोनों नेत्री जनता की पसंद बने और दुबारा चुनकर सत्ता में लौटीं. केरला मे परिवर्तन चाहिए था इसलिए वहां की जनता ने कांग्रेस के बजाय लेफ्ट को चुना. पोंडुचेरी छोटा राज्य है, वहां कांग्रेस अपनी साख बचाने में कामयाब रही.

सारांश यही है कि, एक तो आपको परफॉर्म करना होगा, जनता की आकाँक्षाओं की पूर्ति करनी होगी, दूसरा उनके बीच बिश्वास कायम करना होगा तीसरा उनके बीच जाकर उनकी मांग को सुनना होगा और सत्तारूढ़ दल के विकल्प के रूप में अपने दल को पेश करना होगा आजकल सोसल मीडिया, मीडिया मैनेजमेंट, ओपिनियन पोल सबका अपना अपना अहम रोल है मोदी नीत भाजपा सरकार इन सारी तकनीकों का लाभ ले रही है तभी इनका आत्मबिस्वास बढ़ा है अब आगे यु पी और पंजाब के चुनाव हैं, देखा जाय वहां क्या होता है.... जनता जनार्दन ही सर्वोपरि है मेरा देश बदल रहा है. आगे बढ़ रहा है .... जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर       

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