Saturday 30 April 2016

अगुस्ता वेस्टलैंड या बेस्टलैंड?

इधर सोनिया गाँधी के दिन कुछ अच्छे नहीं चल रहे हैं। राहुल गाँधी से कोई उम्मीद तो बंधी नहीं, उलटे कभी प्रियंका की संपत्ति और राबर्ट वाड्रा विवादों में आकर सोनिया गाँधी की मिट्टी पलीद ही करते रहे हैं। वैसे राजीव गाँधी को जैसे बोफोर्स घोटाला ले डूबा था, कहीं सोनिया गाँधी को भी उनकी बदनामी न ले डूबे। नेशनल हेराल्ड केस में अभी वह और राहुल गाँधी जमानत पर हैं। आगे क्या होगा, भविष्य के गर्भ में है, पर राजनीति में नेकनामी और बदनामी दोनों ही तत्काल प्रभावकारी होता है।
वैसे सोनिया गांधी ने ठीक ही कहा कि दो साल से मोदी सरकार है, उसने अगुस्ता वेस्टलैंड की जांच के बारे में क्या किया। हालाँकि उनकी सरकार के रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने फरवरी 2012 में जांच शुरू की, 2014 तक क्या गुल खिला पाए? हम और आप एक दर्शक के रूप में समझ पाते कि जिन घोटालों पर खूब राजनीति होती है, उनमें दो-चार जेल क्यों नहीं जाते हैं? लेकिन इसे उठाकर बीजेपी पर जवाबदेही नहीं आ गई है कि वो इसे अंजाम तक पहुंचायेगी और जेल भी भेजेगी, चाहे कोई हो?
24 फरवरी 2012 को इंडियन एक्सप्रेस के संवाददाता मनु पबी ख़बर छापते हैं कि इटली के अटार्नी जनरल ने एक जांच शुरू की। इटली की कंपनी फिनमेकानिका ने भारत के साथ 3500 करोड़ की जो डील साइन की है, उसमें दलाली के आरोप लग रहे हैं। मेन कंपनी फिनमेकानिका है और अगुस्ता वेस्टलैंड सहायक कंपनी है। फिनमेकानिका इटली की सार्वजनिक उपक्रम टाइप की कंपनी है। फरवरी 2013 में इटालियन पुलिस ने फिनमेकानिका के चेयरमैन ओरसी को गिरफ्तार किया। चार्ज लगाया गया कि ओरसी ने दलालों को 360 करोड़ रुपये दिये हैं, ताकि वे भारत के साथ हेलिकाप्टर की बिक्री को सुनिश्चित करवा सकें। फरवरी 2012 में इटली में जांच की ख़बर आते ही तब के रक्षा मंत्री जांच के आदेश दे देते हैं। इटली में तो 2011 के साल से ही इस तरह की चर्चा होने लगी थी। 'हिन्दू' अख़बार के अनुसार 17 फरवरी 2013 को छपी कि भारत ने इटली से इस मामले से जुड़े दस्तावेज़ मांगे थे, लेकिन इटली की अदालत ने नई दिल्ली की मांग को खारिज कर दिया था। बाद में 2013 में इटली की अदालत ने 90 हज़ार से अधिक पन्नों के दस्तावेज़ भारतीय एजेंसियों को सौंप दिये। 2013 से 2016 के बीच कितने पन्नों का अनुवाद हुआ मालूम नहीं। 2013 में ही सीबीआई की जांच भारत में शुरू हो जाती है।
इस बीच सरकारों के दौर बदल गए मगर हमारी जांच एजेंसी को लगता है कि शुरुआती दौर से मोह हो गया है। इटली की हाईकोर्ट का फ़ैसला भी आ गया। बतौर ए के एंटनी इटली की न्यायपालिका तो वहां की सरकार से स्वतंत्र है तो फिर उस स्वतंत्र न्यापालिका के फ़ैसले से एतराज़ तो नहीं होना चाहिए। बीजेपी की सरकार आ गई है। बीजेपी के मंत्री भी उसी इटली की न्यायपालिका की कसम खा रहे हैं, जिसकी कभी एंटनी जी खा रहे थे। क्या इटली की अदालत ने पूर्व वायुसेना प्रमुख एस के त्यागी के बारे में कोई टिप्पणी की है। 9 अप्रैल के 'इकनोमिक टाइम्स' की रिपोर्ट के अनुसार मिलान हाईकोर्ट में यह बात साबित हुई है कि 3565 करोड़ का अगुस्ता वेस्टलैंड का कांट्रैक्ट था, जो 2010 में साइन हुआ था, उसमें भारतीय अधिकारियों को रिश्वत दी गई है। एस पी त्यागी पर यह आरोप भारत की मीडिया में भी लग रहा है। मगर इटली की अदालत ने साफ कहा है कि उन्होंने गलत किया, इसके सबूत नहीं मिलते, मगर इसके संकेत मिलते हैं कि पैसा मिला होगा। एक बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि सरकार की एजेंसियों के पास 225 पन्नों के फैसले की कॉपी का अनुवाद नहीं है। इटालियन में लिखे पन्ने के कुछ हिस्से का अनुवाद किसी ने किया है तो कुछ लोग गूगल ट्रांसलेशन की मदद ले रहे हैं। रक्षा मंत्री ने अनुवाद कराने की बात कही है। ज़ाहिर है इस मामले में जो भी कहा जा रहा है फैसले की कॉपी को बिना पूरा पढ़े ही कहा जा रहा है। हो सकता है कि कुछ भी ग़लत नहीं हो, मगर हो सकता है कि जिसका नाम लिया जा रहा है उसकी छवि पर हमेशा के लिए धब्बा लग जाए। एयर चीफ मार्शल को रिश्वत की रकम दी गई है, यह आरोप उतनी ही शर्मनाक है जितनी भारतीय नेताओं की रिश्वत दिये जाने की बात। वायु सेना के मनोबल और छवि के लिए ज़रूरी है कि एस पी त्यागी के मामले में जांच का नतीजा जल्दी आए। प्रत्यर्पण निदेशालय उनसे पूछताछ करने वाला है।
सीबीआई भी कह रही है कि अनौपचारिक रूप से फैसले की कॉपी मिली है उसका अनुवाद करा रहे हैं। रक्षा मंत्रालय भी अनुवाद करा रहा है। रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि सात से आठ दिन लग जायेंगे अनुवाद कराने में। सीबीआई ने बीच में त्यागी ब्रदर्स से पूछताछ की है। सभी का 10-12 साल का बैंक रिकार्ड देख लिया है।
जब से यह ख़बर 'इकोनोमिक टाइम्स' में छपी है तब से भारतीय जनता पार्टी आक्रामक है। बीजेपी का कहना है कि इटली की अदालत का फैसला है। मीडिया में यह ख़बर पहले छपी है इसलिए उस पर बदले की कार्रवाई का आरोप लगाना सही नहीं होगा। ये और बात है कि मोदी सरकार से पूछा जा रहा है कि भारत में हो रही जांच का अंजाम कब देखने को मिलेगा। एक बिचौलिये ने अदालत में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की तस्वीर की पहचान की है। कई सारे बिचौलियों से ज़ब्त नोट में कांग्रेस के कुछ सदस्यों की तरफ इशारा हो रहा है। नौकरशाहों और भारतीय वायु सेना के अधिकारों की भूमिका के भी संकेत मिलते हैं। सोनिया गांधी ने कहा है कि कोई सबूत नहीं है। वे किसी से नहीं डरतीं। मोदी सरकार दो साल से क्या कर रही थी।
रिश्वत दी गई है तो किसी के इशारे पर ही दी गई होगी, ली गई होगी। यह बात तभी सामने आएगी जब इसकी पुख्ता जांच होगी। वो भी समय से। मनमोहन सिंह, अहमद पटेल और ऑस्कर फर्नांडिस के अलावा यूपीए के वक्त एनएसए रहे एमके नारायणन का भी नाम है। लोग चाहते हैं कि जो भी दोषी है वो जल्दी पकड़ा जाए। कहीं ऐसा न हो कि इशरत के बाद बिल्डर, बिल्डरों की ठगी के बाद अगुस्ता, अगुस्ता के बाद कुछ और मामला आ जाए और यह सब एक नूरा-कुश्ती बनकर रह जाए।
अब एक मामला है अगुस्ता वेस्टलैंड को ब्लैक लिस्ट करने का। जैसे ही ए के एंटनी ने कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान ही ब्लैक लिस्ट कर दिया गया था, रक्षा मंत्री मनोहन पर्रिकर ने चुनौती दे डाली कि कि अगर किया है तो दस्तावेज़ दिखाएं। पर्रिकर मीडिया के सामने आए और बता दिया कि ए के एंटनी के समय हेलिकाप्टर कंपनी को बैन नहीं किया गया था।
बीजेपी को इटली की अदालत के फैसले से नई ऊर्जा मिली है कि इसके ज़रिये सोनिया गांधी को भ्रष्टाचार के मामले में सीधे-सीधे घेरा जा सकता है। सोनिया गांधी भले सबूत मांग रही हों लेकिन राजनीति सबूत का इंतज़ार नहीं करती। सही है कि फैसले की पूरी कॉपी अभी तक नहीं पढ़ी गई है। वहां भारत का पक्ष नहीं रखा गया, लेकिन यह भी एक तथ्य है कि अगुस्ता वेस्टलैंड मामले में रिश्वत दी गई है। देने की बात साबित हो चुकी है। कांग्रेस इस सवाल को छोड़ अन्य सवालों के ज़रिये बीजेपी को घेरने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस का कहना है कि छत्तीसगढ़ में भी अगुस्ता से हेलिकाप्टर लिया गया है। सीएजी की रिपोर्ट ने कहा है कि 2007 में 65.70 लाख अमरीकी डॉलर की इस खरीद के लिए दस्तावेज़ इस ढंग से तैयार किये गए ताकि अगुस्ता वेस्टलैंड के अलावा कोई और कंपनी खरीद प्रक्रिया में शामिल न हो पाए।
राज्य सभा में सुब्रमण्यम स्वामी की बात को लेकर हंगामा हो गया। उनकी बात को कार्रवाई से हटा तो दिया गया, लेकिन जो कहा-सुनी हुई उससे लगता है कि इस मसले को लेकर बीजेपी कांग्रेस को छोड़ने वाली नहीं है। लेकिन इस कहा-सुनी के जवाब में जो केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी कह गए वो दिलचस्प है। इस बात का क्या मतलब है कि कांग्रेस वाले जिस स्कूल में पढ़े हैं उसके नकवी जी हेड मास्टर रहे हैं। इसकी व्याख्या कई रूपों में की जा सकती है। क्या पता वो यह कह रहे हैं कि हेड मास्टर होने के नाते हम खूब जानते हैं या जो आप करते हैं वो हम आपसे बेहतर कर सकते हैं।
वैसे सुब्रमण्यम स्वामी को नया काम मिल गया है और भाजपा को नयी उर्जा। तबतक शायद बारिश हो जाय और सूखे की ज्वाला कम हो जाय और उत्तराखंड की आग भी बुझ जाय। लातूर में बारिश हुई है। और जगहों पर भी बूंदा-बांदी होने लगी है। सरकार दालों को भी जमाखोरों के चंगुल से आजाद करने में लगी है। कन्हैया कुमार आजादी की जंग लड़ने बिहार के दिग्गजों के पास पहुँच गए हैं। अच्छे दिन तो आने ही वाले हैं। पर टी वी चैनलों के सर्वेक्षणों का का क्या कहें, जो कह रहे हैं की दो साल के मोदी राज में कुछ नहीं बदला है।
जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर    

Tuesday 26 April 2016

आग को रोकिये !

आये दिन ख़बरों में प्रतिदिन कहीं न कहीं आग की घटनाएँ देखने सुनने को मिल जाती है! आज तो शुबह ही चार पांच जगहों से भयंकर आग लगने की खबर सूनी/देखी. आग बुझाने के लिए दर्जनों दमकल आग बुझाने के लिए जाते हैं. फिर भी काफी जान माल की क्षति हो जाती है. भयंकर पानी की कमी से जूझते सरकार और जनता का पानी आग बुझाने में ही बेकार हो जाते हैं. कहीं कहीं पर पानी की कमी के चलते आग बुझाने में काफी देर हो जाती है,  अंत: हम सब की जिम्मेवारी बंटी है कि आग न लगे उसके लिए सावधानी बरतें. आग लगने पर तुरंत उपलब्ध संसाधनों से बिझाने का हर सम्भव प्रयास करें  बिजली के कारन लगी आग पर पानी डालने से पहले सुनिश्चित करें कि बिजली काट दी गयी है या बिजली के लिए उपयुक्त अग्निशमन यंत्र का प्रयोग करें.  कारखाने जहाँ उच्च तापक्रम और ज्वलशील पदार्थों का वातावरण रहता है, आग लगने की संभावना बनी रहती है.
आग लगने के मुख्य कारणों पर अगर गौर किया जाय तो मूल रूप से इसके तीन करक हैं ओर तीनो को मिलाकर ही प्रतिफल प्राप्त होता है . यथा ताप, ज्वलनशील पदार्थ और ऑक्सीजन = आग . इन तीनो में से किसी भी एक हटा दिया जाय तो आग लगने की संभावना न के बराबर होगी. ताप किसी भी कारणों से पैदा हो सकती है जैसे गर्मी के दिनों में वातवरण का तापक्रम ऐसे ही ज्यादा रहता है. एक छोटी सी चिंगारी चाहे जैसे भी पैदा की गयी हो, अगर वहाँ ज्वलनशील पदार्थ और हवा यानी ऑक्सीजन है, तो आग लगने की संभावना प्रबल हो जाती है.
ज्यादातर मामलों में यह सुना जाता है कि विद्युतीय शोर्ट सर्किट से आग लग गयी. आइये अब यह समझने की कोशिश करें की विद्युतीय शोर्ट सर्किट होता क्या है और यह उत्पन्न कैसे होता है ?
ओम का नियम हम सबने पढ़ा है उसके अनुसार विद्युतीय धारा (कर्रेंट) = विभवांतर (वोल्टेज)/अवरोध (रेजिस्टेंस)
विद्युतीय ताप उत्पन्न = (धारा)२ × अवरोध × समय ( करेंट२ × रेजिस्टेंस × टाइम )
शोर्ट सर्किट (लघु परिपथ) का मतलब होता है न्यूनतम अवरोध और अधिकतम धारा (करेंट).  अधिकतम धारा का वर्ग यानी बहुत ज्यादा ताप- बहुत ज्यादा ताप मतलब, ज्यादा तापक्रम और ज्यादा तापक्रम, मतलब अग्नि का प्रज्वलन- कोई ज्वलनशील पदार्थ जैसे रबर, प्लास्टिक कागज , कपड़ा, लकड़ी आदि कुछ भी हो हवा हर जगह मौजूद ही रहती है- आग लगेगी. आग लगेगी तो आसपास जितने भी ज्वलनशील पदार्थ होंगे सबको चपेट में ले लेगी. आग लगने से आसपास की हवा गर्म होकर ऊपर धुंए के साथ निकल जायेगी तो खाली जगह भरने के लिए चारोतरफ की हवा दौड़ पड़ेगी फलस्वरूप आग को जलने फ़ैलने में मदद ही मिलेगी. धीरे धीरे यही आग भयंकर रूप धारण कर लेती है, जिससे जान माल की भारी क्षति होती है. हम सभी जानते हैं कि बिजली के दो नग्न तार अगर आपस में किसी कारण वश टकड़ा गए तो चिंगारी (स्पार्क) निकलेगी और आग लगने की संभावना बढ़ेगी.
आग शुरुआत में बहुत छोटी होती है, अगर उसे तत्काल बुझाने का प्रयास किया जाय तो जल्दी बुझ भी जायेगी. इसीलिए आजकल महत्वपूर्ण स्थानों पर अग्निशमन यंत्र रखने की ब्यवस्था होती है. बिजली के उपकरण में लगी आग हो तो कभी भी पानी से न बुझायें, नहीं तो आपको विद्युत झटका लगेगा और आप उसके प्रभाव में आ जायेंगे. उसके लिए कार्बन डाइऑक्साइड युक्त उपकरण का प्रयोग करें. अगर पता है तो मुख्य स्विच को ऑफ कर दें. हमेशा ही सही क्षमता वाले उपकरण का प्रयोग करें. तारों के जोड़ को इन्सुलेटेड टेप से 'कवर' करें कहीं भी विद्युत उपकरण को खुला न छोड़े या उससे बिना जानकारी के छेड़ छाड़ न करें. अगर कोई भी उपकरण तार आदि बहुत पुराने हो गए हैं या उनमे कुछ गडबडी है तो फ़ौरन बदल दें या बिजली मिस्त्री से दिखला दे.
इसके अलावा माचिस की तीली, सिगरेट आदि को पूरी तरह बुझाकर ही फेंके. गैस सिलिंडर को अच्छी तरह बंद रक्खें. जरा भी गंध होने से गैस सिलिंडर को खुली हवा में रख दें और अगर संभव है तो ग्राहक सेवा केन्द्र को सूचित करें .
अग्निशमन विभाग के फोन नंबर को टेलीफोन के पास ही लिखकर रखें या अपने मोबाइल में सेव कर रखें.
अति ज्वलनशील पदार्थ जैसे पेट्रोल, केरोसीन आदि को कभी भी खुला न रखें न ही इसे उच्च तापक्रम के पास रक्खें.
आग के भी कई प्रकार होते हैं :-
जंगल में वृक्ष के डाल जब आपस में घर्षण करते हैं तो भी अग्नि उत्पन्न होती है, जिसे दावानल कहते हैं . इस आग से जंगल की सूखी लकड़ियों एवं पत्तों के अलावा पूरे जंगल में तबाही मच जाती है और जंगल के साथ जंगली जानवरों का भी भारी नुकसान होता है.
इन सब आग के अलावा एक और आग होती है पेट की आग जिसे जठराग्नि कहते हैं. यह आग जब लगती है तो सारे आग इसके सामने फीके पर जाते हैं!
'दिल की आग' के बारे में मुझे ज्यादा अनुभव नहीं है. इसके बारे में अनुभवी ब्यक्ति जानकारी दे सकते हैं.
इसके अलावा और भी कुछ आग हैं :-  जैसे बदले की आग, ईर्ष्या, डाह, चिंता, अहंकार, चिंता, अपने आप को सर्वश्रेष्ठ बनाने की चाह, दूसरे को दुखी कर खुद प्रसन्न होने की चाह, खिल्ली उड़ाने का भाव, अत्यधिक दुःख, अत्यधिक खुशी, तड़प, .... आदि आदि ......

जितनी प्रकार के आग हैं, उन्हें शुरुआती यानी प्रारंभिक अवस्था में बुझाना बहुत ही आसान होता है. पर जब यह प्रचंड रूप धारण करती है तो सबको जलाकर ही शांत होती है.

Saturday 16 April 2016

आस्था का त्योहार रामनवमी शांतिपूर्ण संपन्न

और रामनवमी का त्योहार आस्था के साथ, श्रद्धापूर्ण, उल्लास के वातावरण में लगभग शांतिपूर्ण संपन्न हो गया. यह झाड़खंड वासियों और जमशेदपुर वासियों के लिए खुशी की खबर है. रामनवमी पर्व को जमशेदपुर में ‘रायट पर्व’ के रूप में भी परिभाषित किया जाता रहा है, क्योंकि १९७९ में रामनवमी के दिन ही झंडा जुलूश के दौरान भीषण साम्प्रदायिक दंगा हो गया था. तब से हर साल कुछ न कुछ अनिष्ट होने की संभावना बनी रहती है. शांति-पसंद लोग कभी दंगा नहीं चाहते, नहीं प्रशासन दंगा का धब्बा देखना चाहती है. पर कुछ शरारती तत्व हर समुदाय में होते हैं, जिन्हें अपनी रोटी सेंकनी होती है, राजनीति चमकानी होती है.
यूं तो रामनवमी भगवान राम के जन्म और माँ दुर्गा के नौवें रूप की आखिरी पूजा से संपन्न माना जाता है. रामनवमी के दिन मंदिरों में, पूजा स्थलों में भगवान् राम का जन्मोत्सव मनाया जाता है. बिहार और झाड़खंड में श्रीराम के परम भक्त श्री हनुमान जी के ध्वज की स्थापना कर उनका पूजन-वंदन किया जाता है. माँ दुर्गा और और बजरंगबली दोनों शक्ति के प्रतीक हैं, इसलिए उनके भक्त अपनी शक्ति का प्रदर्शन, आस्था और बिश्वास के साथ करते हैं. जमशेदपुर में सन १९२२ ई. से ही कई अखाड़ों के अंतर्गत महावीर हनुमान जी का ध्वज का आरोहन करते हैं और उनके ध्वज के साथ जुलूस में एक साथ चलते हुए, अपनी शक्ति का प्रदर्शन लाठी, भाले, तीर, तलवार, और अब चाकू के साथ आधुनिक हथियार के साथ विभिन्न करतब दिखलाते हुए करते हैं. इनके करतब को देखने के लिए श्रद्धालु सड़कों के किनारे जमा होते हैं.
१९७९ में इसी जुलूस को एक खास सम्प्रदाय के आराधना स्थल के सामने काफी देर तक प्रदर्शन किया गया. सभी भक्त अपने करतब दिखलाने में इतने मशगूल हो गए कि उन्हें समय का पता ही न चला और एकाध पत्थर के टुकड़े भीड़ पर आ गिरे. दंगा के लिए इससे ज्यादा और क्या चाहिए. दोनों तरफ से खूफ पत्थरबाजी हुई. फिर हथियार भी चमक उठे. देखते ही देखते खून बहने लगे और माहौल अति संवेदनशील हो गया. फिर भगदड़, कर्फ्यू और शान्ति ….. उस साल के बाद से इस जुलूस के दिन में प्रशासन की तरफ से परिवर्तन कर दिया गया. अब झंडा का जुलूस नवमी के बजाय दशमी को निकलने लगा. उस दिन शुबह से ही चाक चौबंद ब्यवस्था होने लगी. भीड़ को नियंत्रण करने के लिए जगह जगह बैरिकेड लगाये जाने लगे. वाहनों की नो इंट्री भी लागू हो गयी. सभी ब्यावसायिक संस्थान को बंद कर आकस्मिक सेवाओं को चालू रक्खा गया. अपराधियों को धड़-पकड़ के साथ दोनों समुदायों के बीच शांति समितियां बनाकर, विशिष्ट जनों को बुलाकर विशेष हिदायतें और निर्देश दिए गए ताकि माहौल शांति और सद्भावपूर्ण बना रहे. 

परिणाम स्वरुप अब तो दूसरे समुदाय के लोग भी इस भयंकर गर्मी में शरबत पानी लेकर खड़े दिखते हैं और भक्त जनों की प्यास को शांत करने का हर संभव प्रयास करते हैं. इस साल लगभग १७५ अखाड़ों का प्रदर्शन हुआ. मध्याह्न तीन बजे से शुरू हुआ कार्यक्रम देर रात लगभग १२ बजे तक चला. विभिन्न अखाड़ा समितियों ने भव्य शोभायात्राएं निकालीं. शक्ति, सामंजस्य और सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में धवज को निश्चित मार्ग से घुमाते हुए पास की नदी स्वर्णरेखा या खरकाई में विसर्जित कर दिया गया. प्रशासन की चुस्त ब्यवस्था ने कुछ भी अनिष्ट होने से बचा लिया. टाटा के कमांड एरिया में भूमिगत केबल के माध्यम बिजली की निर्बाध आपूर्ति की ब्यवस्था रखी गयी. पर गैर टाटा क्षेत्र में चूंकि ओवरहेड नंगे तारों से बिजली की आपूर्ति होती है, और ऊंचे ऊंचे झंडे से नंगे तारों का स्पर्श के चलते कोई भयंकर दुर्घटना न हो जाए इसके लिए दोपहर तीन बजे से रात्रि डेढ़ बजे तक विद्युत आपूर्ति बाधित कर रक्खी गयी. पूर्व में भयकर हादसे हो चुके हैं इसलिए इस भयंकर गर्मी में जबकि पारा ४५.१ डिग्री तक पहुँच गया था, लोगो जो अपने घर में थे गर्मी को बर्दाश्त कर रहे थे या जेनेरेटर/इन्वर्टर के सहारे काम चला रहे थे. इतना तो बर्दाश्त करना ही चाहिए लोगों को … जहाँ राम और हनुमान भक्त भयंकर गर्मी में अपने खून और पसीने सुखा रहे थे, वहीं थोड़ी गर्मी तो आम जनता को बर्दाश्त करनी ही चाहिए. आपको बैरीकेडिंग की वजह से अगर अपने कार्यस्थल या हॉस्पिटल वगैरह भी जाने में थोड़ी असुविधा हुई होगी, तो भी भगवान और प्रशासन का आभार व्यक्त करना चाहिए. कहीं-कहीं पर थोड़ा बहुत अवरोध हुआ भी तो प्रशासन की मुस्तैदी ने उसे हल कर लिया. आपको प्रशासन को धन्यवाद करना चाहिए कि नहीं! अगर कहीं कुछ दुर्घटनाएं हो जाती तब तो आप प्रशासन को जमकर गालियाँ देते, मीडिया वाले भी कैमरा लेकर फ़ौरन पहुँच जाते और आँखों देखा हाल या सीधा प्रसारण ही करने लगते…
अब आइये हजारीबाग और बोकारो चलते हैं…
झारखंड के हजारीबाग जिले के केरेडारी थाना क्षेत्र स्थित टुंडा चौक से एक धार्मिक जुलूस के गुजरने के दौरान पांडू गांव में शुक्रवार शाम चार बजे दो गुटों में झड़प हो गयी. घटना में मो मोजिब नामक व्यक्ति की मौत हो गयी. दोनों ओर से जम कर पत्थरबाजी हुई. दोनों गुट के दर्जनों लोग घायल हो गये. इनमें पांच की हालत अत्यंत गंभीर बतायी जा रही है. उपद्रवियों ने 10 से अधिक घरों व दुकानों में आग लगा दी गयी. तीन हाइवा को भी आग के हवाले कर दिया. तीनों हाइवा पूर्व मुखिया के घर के पास खड़े थे. जुलूस में शामिल वाहनों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया. वहीं, बोकारो के माराफारी थाना क्षेत्र स्थित सिवनडीह में भी धार्मिक जुलूस के मार्ग को लेकर दो गुटों में जम कर पत्थरबाजी हुई. घटना में दो दर्जन भर से अधिक लोग घायल हो गये. बोकारो के डी सी राय महिमापत रे को भी चोटें आयी हैं. आक्रोशित लोगों ने ट्रक, मिनी ट्रक और एक कार में आग लगा दी.
लोगों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस की ओर से लाठी चार्ज किया गया. आंसू गैस भी छोड़ी गयी. दोनों गुट के लोगों ने करीब तीन घंटे तक उत्पात मचाया. घटना में कुछ पत्रकारों को भी चोट लगी है. पुलिस ने चार थाना क्षेत्र (सेक्टर 12, माराफारी, बालीडीह और बीएस सिटी) में कर्फ्यू लगा दी है. पुलिस दोनों जगहों पर गश्त कर रही है. अतिरिक्त फोर्स तैनात कर दी गयी है. हजारीबाग के एसपी अखिलेश झा ने दोनों गुट के लोगों के साथ बैठक की. मामले को सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है. विभिन्न जगहों पर शांति समिति की बैठक करायी जा रही है. बोकारो में भी एसपी घटनास्थल पर कैंप कर रहे हैं. स्थिति नियंत्रण में है. घायलों को इलाज कराया जा रहा है. कम पुलिस बल रहने के कारण तथा वरीय अधिकारियों के आदेश के अभाव में दोनों पक्षों में जम कर हंगामा हुआ व पत्थरबाजी भी हुई, पर पुलिस ने संयम नहीं खोया. पत्थरबाजी में पुलिस को पीछे हटना पड़ा. पुलिस बाइक सवारों पर भी अंकुश नहीं लगा सकी. आक्रोशित भीड़ किसी की नहीं सुन रही थी. माहौल बिगड़ने के बाद भी पुलिस बातचीत से मामला सुलझाना चाहती थी, लेकिन भीड़ डीसी-एसपी सहित किसी अधिकारी को सुन ही नहीं रही थी. विधायक बिरंची नारायण ने भी लोगों को समझाने का प्रयास किया. जैसे-जैसे समय बीतता गया, स्थिति तनावपूर्ण होती गयी. दोनों पक्षों के लोग दहशत फैलाने में लगे रहे. डीसी ने कर्फ्यू की घोषणा रामनवमी संपन्न हो जाने के बाद रात्रि नौ बजे की है. रात्रि नौ बजे तक राम मंदिर पहुंचने वाले सारे जुलूस अपने गंतव्य की ओर रवाना हो चुके थे. डीसी के अनुसार कर्फ्यू के दौरान कोई भी व्यक्ति अपने घर से बाहर नहीं निकल सकता है. कर्फ्यू शनिवार की शाम तक जारी रही. स्थिति के अनुसार आगे का फैसला लिया जायेगा. दोनों पक्षों ने लगभग तीन घंटे तक जम कर उत्पात मचाया गया, लेकिन प्रशासन द्वारा भीड़ हटाने के लिए निषेधाज्ञा नहीं लगाया गया. घटनास्थल पर बोकारो डीसी राय महिमापत रे व एसपी वाइएस रमेश सहित अन्य प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी डटे रहे व दिशा-निर्देश देते रहे.
बोकारो बुद्धिजीवियों का शहर है. कुछ असामाजिक तत्वों ने जुलूस के दौरान अशांति फैलाने का प्रयास किया. उनका मंसूबा विफल रहा. बोकारो में शांतिपूर्ण व सौहार्द्रपूर्ण माहौल में रामनवमी मनी. इसके लिए बोकारो की जनता को बधाई. बिरंची नारायण, विधायक, बोकारो.
माहौल खराब करने की कोशिश में लगे असामाजिक तत्वों को कंट्रोल करने के लिए पुलिस को थोड़ा बल प्रयोग करना पड़ा. रामनवमी जुलूस पूर्व निर्धारित रास्ते से ही निकाला गया. हल्का बल प्रयोग करने के बाद फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है. कोई अप्रिय घटना न घटे इसके लिए भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गयी है. चलिए अब खुश रहिये और एक बार जोर से बोलिए जय बजरंगबली ! जय श्री राम !
- जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर

Saturday 9 April 2016

‘जय श्रीराम’ से ‘भारत माता की जय’ तक

‘जय श्रीराम’ से ‘भारत माता की जय’ तक
भारतीय जनता पार्टी का मूल श्यामाप्रसाद मुखर्जी द्वारा १९५१ में निर्मित भारतीय जनसंघ है। १९७७ में आपातकाल की समाप्ति के बाद जनता पार्टी के निर्माण हेतु जनसंघ का अन्य दलों के साथ विलय हो गया। इससे १९७७ में पदस्थ कांग्रेस पार्टी को आम चुनावों में हराना सम्भव हुआ। तीन वर्षों तक सरकार चलाने के बाद १९८० में जनता पार्टी विघटित हो गई और पूर्व जनसंघ के पदचिह्नों को पुनर्संयोजित करते हुये भारतीय जनता पार्टी का निर्माण किया गया। यद्यपि शुरुआत में पार्टी असफल रही और १९८४ के आम चुनावों में केवल दो लोकसभा सीटें जीतने में सफल रही। इसके बाद राम जन्मभूमि आंदोलन ने पार्टी को ताकत दी। कुछ राज्यों में चुनाव जीतते हुये और राष्ट्रीय चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करते हुये १९९६ में पार्टी भारतीय संसद में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। इसे सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया जो मात्र १३ दिन ही चली।
१९९८ में आम चुनावों के बाद भाजपा के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का निर्माण हुआ और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनी जो एक वर्ष तक चली। इसके बाद आम-चुनावों में राजग को पुनः पूर्ण बहुमत मिला और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार ने अपना कार्यकाल पूर्ण किया। इस प्रकार पूर्ण कार्यकाल करने वाली पहली गैर कांग्रेसी सरकार बनी। २००४ के आम चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा और अगले १० वर्षों तक भाजपा ने संसद में मुख्य विपक्षी दल की भूमिका निभाई। २०१४ के आम चुनावों में राजग को गुजरात के लम्बे समय से चले आ रहे मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारी जीत मिली और २०१४ में सरकार बनायी। इसके अलावा जुलाई २०१४ से पार्टी पांच राज्यों में सता में है।
भाजपा की कथित विचारधारा "एकात्म मानववाद" सर्वप्रथम १९६५ में दीनदयाल उपाध्याय ने दी थी। पार्टी हिन्दुत्व के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त करती है और नीतियाँ ऐतिहासिक रूप से हिन्दू राष्ट्रवाद की पक्षधर रही हैं। पार्टी सामाजिक रूढ़िवाद की समर्थक है और इसकी विदेश नीति राष्ट्रवादी सिद्धांतों पर केन्द्रित हैं। जम्मू और कश्मीर के लिए विशेष संवैधानिक दर्जा ख़त्म करना, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करना तथा सभी भारतीयों के लिए समान नागरिकता कानून का कार्यान्वयन करना भाजपा के मुख्य मुद्दे हैं। हालांकि १९९८-२००४ की राजग सरकार ने किसी भी विवादास्पद मुद्दे को नहीं छुआ और इसके स्थान पर वैश्वीकरण पर आधारित आर्थिक नीतियों तथा सामाजिक कल्याणकारी आर्थिक वृद्धि पर केन्द्रित रही।
इतिहासकार रामचंद्र गुहा के अनुसार जनता सरकार के भीतर गुटीय युद्धों के बावजूद, इसके कार्यकाल में आर॰एस॰एस॰ के प्रभाव को बढ़ते हुये देखा गया, जिसे १९८० पूर्वार्द्ध की सांप्रदायिक हिंसा की एक लहर द्वारा चिह्नित किया जाता है। इस समर्थन के बावजूद, भाजपा ने शुरूआत में अपने पूर्ववर्ती हिन्दू राष्ट्रवाद का रुख किया इसका व्यापक प्रसार किया। उनकी यह रणनीति असफल रही और १९८४ के लोकसभा चुनाव में भाजपा को केवल दो लोकसभा सीटों से संतोष करना पड़ा। चुनावों से कुछ समय पहले ही इंदिरा गांधी की हत्या होने के बाद कांग्रेस रिकोर्ड सीटों के साथ जीत गई।
वाजपेयी के नेतृत्व वाली उदारवादी रणनीति अभियान के असफल होने के बाद पार्टी ने हिन्दुत्व और हिन्दू कट्टरवाद का पूर्ण कट्टरता के साथ पालन करने का निर्णय लिया। १९८४ में आडवाणी को पार्टी अध्यक्ष नियुक्त किया गया और उनके नेतृत्व में भाजपा राम जन्मभूमि आंदोलन की राजनीतिक आवाज़ बनी।तब भाजपा का मुख्य नारा था जय श्रीराम.  १९८० के दशक के पूर्वार्द्ध में विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद के स्थान पर हिन्दू देवता राम का मन्दिर निर्माण के उद्देश्य से एक अभियान की शुरूआत की थी। आंदोलन का आधार यह था कि यह क्षेत्र राम की जन्मभूमि है और यहाँ पर मस्जिद निर्माण के उद्देश्य से बाबर ने मन्दिर को ध्वस्त करवाया। भाजपा ने इस अभियान का समर्थन आरम्भ कर दिया और इसे अपने चुनावी अभियान का हिस्सा बनाया। आंदोलन की ताकत के साथ भाजपा ने १९८९ के लोक सभा चुनावों में ८६ सीटें प्राप्त की और समान विचारधारा वाली नेशनल फ़्रॉण्ट की विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार का महत्वपूर्ण समर्थन किया।
सितम्बर १९९० में आडवाणी ने राम मंदिर आंदोलन के समर्थन में अयोध्या के लिए "रथ यात्रा" आरम्भ की। यात्रा के कारण होने वाले दंगो के कारण बिहार सरकार ने आडवाणी को गिरफ़तार कर लिया लेकिन ६ दिसम्बर १९९२ को कार सेवक और संघ परिवार कार्यकर्ता फिर भी अयोध्या पहुँच गये और बाबरी मस्जिद के विध्वंस के लिए हमला कर दिया। इसके परिणामस्वरूप अर्द्धसैनिक बलों के साथ घमासान लड़ाई हुई जिसमें कई कार सेवक मारे गये। तभी भाजपा ने विश्वनाथ प्रतापसिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया और एक नये चुनाव के लिए तैयार हो गई। इन चुनावों में भाजपा ने अपनी शक्ति को और बढ़ाया और १२० सीटों पर विजय प्राप्त की तथा उत्तर प्रदेश में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी।
इसके कई सप्ताह बाद देशभर में हिन्दू एवं मुस्लिमों में हिंसा भड़क उठी जिसमें २,००० से अधिक लोग मारे गये। २७ फ़रवरी २००२ को हिन्दू तीर्थयात्रियों को ले जा रही एक रेलगाडी को गोधरा कस्बे के बाहर आग लगा दी गयी जिसमें ५९ लोग मारे गये। इस घटना को हिन्दुओं पर हमले के रूप में देखा गया और इसने गुजरात राज्य में भारी मात्रा में मुस्लिम-विरोधी हिंसा को जन्म दिया जो कई सप्ताह तक चली। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और अन्य सरकार के उच्च-पदस्थ अधिकारियों पर हिंसा आरम्भ करने और इसे जारी रखने के आरोप लगे। अप्रैल २००९ में सर्वोच्य न्यायालय ने गुजरात दंगे मामले की जाँच करने और उसमें तेजी लाने के लिए एक विशेष जाँच दल (एस॰आई॰टी॰) घटित किया। सन् २०१२ में एस॰आई॰टी॰ ने मोदी को दंगों में संलिप्तता के आरोप से मुक्त कर दिया।
वाजपेयी जी ने २००४ में राजग का अभियान "इंडिया शाइनिंग" (उदय भारत) के नारे के साथ शुरू कराया जिसमें राजग सरकार को देश में तेजी से आर्थिक बदलाव का श्रेय दिया गया। पर, राजग को अप्रत्यासित हार का समाना करना पड़ा और लोकसभा में कांग्रेस के गठबंधन के २२२ सीटों के सामने केवल १८६ सीटों पर ही जीत मिली।
२०१४ के आम चुनावों में भाजपा ने २८२ सीटों पर जीत प्राप्त की और मोदी जी के नेतृत्व वाले राजग को ५४३ लोकसभा सीटों में से ३३६ सीटों पर जीत प्राप्त हुई। यह १९८४ के बाद पहली बार था कि भारतीय संसद में किसी एक दल को पूर्ण बहुमत मिला। भाजपा संसदीय दल के नेता नरेन्द्र मोदी को २६ मई २०१४ को भारत के १५वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गयी। मोदी जी का विजय रथ पहले दिल्ली औरे बाद में बिहार में रुक गया। हिंदुत्व के रथ पर सवार भाजपा को सवर्णों और ब्यापारियों (बनियों) की पार्टी कहा जाने लगा। बीच  बीच में आर एस एस प्रमुख भागवत ने आरक्षण की समीक्षा की बात उठाकर दलितों और पिछड़ों के मन में शंका के बीज बो दिए, जिसे मोदी विभिन्न मंचों से खंडित करते रहे और जब भी मौका मिला अम्बेडकर, जगजीवन राम, भक्त रविदास आदि के गुण गाने रहे। पर इससे भी शायद संतुष्टि नहीं हुई और कई राज्यों में जाति आधारित क्षेत्रीय पार्टियों से निपटने के लिए आगामी विधान सभाओं के चुनावों को देखते हुए अभी से ही पांच राज्यों के नए अध्यक्ष नियुक्त कर दिए जो या तो पिछड़ी या दलित जाति से आते हैं। यानी कि अब भाजपा के रणनीतिकारों की नजर भी दलित-पिछड़ों के जातिगत आधारित वोट बैंक पर पडी है। सबका साथ और सबका विकास कहते हुए मुसलमानों की सभाओं में जाते हुए और अजमेर शरीफ में चादर चढ़ाते हुए मुस्लिमों के एक वर्ग तक पहुँचने की भी भरपूर कोशिश भी जारी है। कभी कभी कुछ राष्ट्रवादी नारों ‘भारत माता की जय’ और वन्दे मातरम के माध्यम से हिन्दुओं और राष्ट्वादियों को जोड़े रखने की कवायद भी जारी रही है।
उत्तर प्रदेश की आम जनता मे एक अन्जाना सा नाम केशव मौर्य जी को पूरे प्रदेश भाजपा की बाग़डोर सौप दी गयी, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे वह किसान रहे है और चाय अखबार भी बेचते रहे है। नेता बनने के बाद कई करोड़ की संपत्ती के मालिक भी हो चुकें है। केशव मौर्य फूलपुर इलाहाबाद से सांसद है, उसकें पहले वह विधायक भी रह चुके है। उसी तरह पंजाब में विजय सांपला, कर्णाटक में बी एस यदुरप्पा, तेलंगाना में के लक्ष्मण और अरुणाचल प्रदेश में तापिर गाव को कमान सौप दी है। दिक्कत इस बात की है कि देश के बड़े दलो मे इतना आत्म विश्वास नही कि इनको 50% से ज्यादा वोट कौन देगा ?
इसे जातिवाद से जोड़कर देखना अन्याय होगा, भाजपा तो जातिवाद में नहीं, राष्ट्रवाद में बिश्वास रखती है, मैंने कुछ गलत नहीं कहा न! मोदी जी तो विकास के रथ पर आरूढ़ हैं वे  भारत को आर्थिक और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध, विश्व के प्रमुख राष्ट्रों में शामिल करते हुए विश्वगुरु भारत की तरफ बढ़ना चाहते हैं नास्त्रेदम की भविष्यवाणी भी तो यही कहती है जय श्री राम (श्री रामनवमी के शुभ अवसर पर), भारत माता की जय ! जय हिन्द!   

-    -  जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर