Monday 31 March 2014

न्यायपालिका के महत्वपूर्ण फैसले!

न्यायपालिका के महत्वपूर्ण फैसले
ज्यादातर मामलों में अदालत के फैसलों में इतनी देर हो जाती है कि आम आदमी जल्दी कोर्ट का रुख नहीं करना चाहता है. चाहता है कि आपस में समझौता हो जाय और मामला सलट जाय. विशेष परिस्थितियों में ही आम आदमी थाना और कोर्ट की शरण लेता है. फिर भी न्यायपालिका सर्वोपरि है, यह सभी मानते हैं. इसी सन्दर्भ आइये देखते है इधर हाल के दिनों में कोर्ट के महत्वपूर्ण फैसले पर ...
1.       वसंत विहार गैंगरेप केस में फैसला
16 दिसंबर, 2012 की रात वसंत विहार के पास चलती बस में ज्योति के साथ गैंगरेप और दरिंदगी की गई थी, जिसके बाद आक्रोशित भीड़ ने दिल्ली और देश भर के इलाकों में कई दिनों तक जोरदार प्रदर्शन किए थे. 23 वर्षीय फीजियोथैरेपी की छात्रा ने 13 दिन तक अस्पताल में मौत से संघर्ष करते हुए सिंगापुर के अस्पताल में दम तोड़ दिया था. 1200 पन्नों की चार्जशीट, 86 गवाहियां और 243 दिनों की सुनवाई के बाद आखिरकार वह फैसला आ गया जिसका इंतजार पूरे देश को था. ज्योति के हत्यारे चारों दरिंदों मुकेश शर्मा, विनय शर्मा, अक्षय ठाकुर और पवन गुप्ता को दिल्ली की साकेत अदालत ने फांसी की सजा सुनाई. अदालत ने मामले को 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' श्रेणी में रखते हुए यह फैसला सुनाया.
२. मुंबई के शक्ति मिल में फोटोजर्नलिस्ट गैंगरेप मामले के तीन दोषियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए बंबई हाईकोर्ट ने सत्र अदालत के फैसले में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया.

सत्र अदालत ने गैंगरेप के अपराध की पुनरावृति के मामले में नया आरोपपत्र दाखिल करने का फैसला सुनाया है, जिसमें दोषियों को मौत की सजा भी हो सकती है.
   
तीनों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (ई) के तहत अतिरिक्त आरोप लगाने के अभियोजन पक्ष के आवेदन पर निचली अदालत के 24 मार्च के फैसले को चुनौती देते हुए तीनों दोषियों ने उच्च न्यायालय में यह याचिका दायर की थी.
   
तीनों उसी शक्ति मिल परिसर में पत्रकार के साथ हुई घटना से एक महीना पहले टेलीफोन ऑपरेटर के साथ हुए गैंगरेप मामले में दोषी करार दिए गए हैं.

३.  भारी दबावों का सामना कर रहे उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ए के गांगुली ने पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया।
उन्होंने एक ला इंटर्न के यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद यह कदम उठाया है।
उच्चतम न्यायालय के तीन न्यायाधीशों वाली एक समिति ने न्यायमूर्ति गांगुली को अभ्यारोपित किया था। समिति ने पाया कि इंटर्न के लिखित एवं मौखिक बयान से प्रथम दृष्टया इस बात का खुलासा होता है कि न्यायाधीश ने उसके (पीड़िता के) साथ 24 दिसंबर 2012 को दिल्ली के ली मैरिडियन होटल में ‘‘अशोभनीय आचरण (यौन प्रवृत्ति का अशोभनीय मौखिक गैर मौखिक आचरण)’’ किया।

3. BCCI के अध्यक्ष के श्रीनिवास को हटाने का फैसला क्रिकेट को भ्रष्टाचार मुक्त करने की तरफ कदम

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) ने चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स को आगामी आइपीएल सत्र से बाहर नहीं करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि सुनील गावस्कर को बोर्ड का अंतरिम अध्यक्ष बनाने का फैसला उसे स्वीकार है।
श्रीनिवासन ने भी वकीलों के माध्यम से कहा है कि वह अध्यक्ष पद से किनारा करने को तैयार हैं और उसके बाद कोर्ट जो फैसला लेगा, उन्हें स्वीकार होगा। अच्छी बात यह है कि सभी आठ टीमें इस साल आइपीएल खेलेंगी। आइपीएल होगा और इसमें कोई बाधा नहीं है।' आइपीएल से इतर बोर्ड का कामकाज संभालने जा रहे शिवलाल यादव ने कहा, 'मैं इस खबर से बहुत खुश हूं कि आइपीएल के बाद मुझे क्रिकेट की जिम्मेदारी संभालनी है। मैं अपनी ओर से सर्वश्रेष्ठ प्रयास करूंगा।'

५. आरुषि-हेमराज हत्याकांड पर फैसला
गाजियाबाद की सीबीआई अदालत ने आरुषि तलवार और हेमराज की बहुचर्चित मर्डर मिस्‍ट्री के मुख्‍य आरोपी और आरुषि के माता-पिता नूपुर तलवार और राजेश तलवार को दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई. अदालत ने दोनों को आईपीसी की धारा 302 (हत्‍या) के तहत दोषी ठहराया है. इसके अलावा राजेश तलवार को आईपीसी की धारा 203 (गलत एफआईआर दर्ज कराने के दोषी), 201 (सबूत मिटाना)और 34 (कॉमन इंटेंशन) के तहत दोषी माना है. वहीं, नूपुर को 302 के अलावा धारा 201 और 34 के तहत दोषी ठहराया है.

६. चारा घोटालाः लालू, जगन्नाथ मिश्र और जगदीश शर्मा को जेल
सीबीआई अदालत ने चारा घोटाले के एक मामले में 30 सितंबर को सभी 45 आरोपियों को दोषी करार दिया. आरोपियों को तीन साल के कारावास और 50 लाख रुपये हर्जाना भरने की सजा सुनाई. लालू प्रसाद को पांच वर्ष कैद की सजा मिली. उनपर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी किया गया. कोर्ट ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र और जेडीयू के नेता जगदीश शर्मा को चार-चार साल कारावास की सजा सुनाई. यह बात अलग है कि श्री लालू प्रसाद अभी सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दी गयी जमानत पर जेल से बाहर हैं और खुद तो चुनाव नहीं लड़ सकते पर चुनाव की तैयारी में जोर शोर से लगे हैं.

७. मुजफ्फरनगर दंगे के लिए प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराए जाने संबंधी उच्चतम न्यायालय के निर्णय का भी आम तौर पर स्वागत योग्य माना गया है.

समलैंगिकता के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट का फैसला जिसे भारतीय संस्कृति और प्रकृति के भी खिलाफ बताया गया.

१०. पिछले 9 सालों से हो रही राइट टू रिजेक्ट की मांग को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट की सहमति हासिल हो गई है। 27 सितंबर 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए मतदाताओं को नन ऑफ द अबव यानी उपरोक्त में से कोई नहीं का अधिकार दिया। जिसका मतलब यह है कि अगर किसी मतदाता को लगता है कि मतपत्र पर मौजूद कोई भी उम्मीदवार उसकी पसंद का नहीं है तो वह इस विकल्प पर अपनी मुहर लगा सकता है। इस विकल्प की मांग पिछले 5 दशकों से हो रही थी। पिछले 9 सालों से तो इस सम्बंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका लम्बित थी, जिसे अब जाकर मान्यता मिली है।
मतदाता को नया अधिकार, इससे बदलेगा राजनीति का चेहरा!
राइट टू रिजेक्ट अधिकार के चलते अगर किसी भी प्रत्याशी को इस विकल्प के लिए पड़े वोट से ज्यादा वोट नहीं मिले तो चुनाव रद्द हो जाएगा। कहने का मतलब यह कि अगर नन ऑफ द अबव बटन बाकी तमाम बटनों से ज्यादा बार दबाया गया तो चुनाव रद्द होना तय है। इसके बाद नए सिरे से चुनाव होगा। इससे राजनीतिक पार्टियां सजग रहेंगी और वह कम से कम ऐसे व्यक्ति को उम्मीदवार चुनने से बाज आएंगी जिसे एकांत में मतदाता सही न मानते हों; क्योंकि भारतीय मतदाताओं को गोपनीयता का जो बड़ा अधिकार मिला हुआ है, उसके चलते यह ताकत राजनीतिक पार्टियों को सजग रहने के लिए मजबूर करेगी।

 ११. सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला भारत में सियासत को अपराध से मुक्त करने की दिशा में एक और अहम पड़ाव है. भविष्य में दागी नेता राजनीति में बने रहने के लिए अदालती कार्यवाही की लेटलतीफी का फायदा नहीं उठा सकेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों को निर्देश दिया है कि दागी नेताओं के मुकदमे हर हाल में एक साल के भीतर निपटाए जाएं. इस फैसले से अपराधी से नेता बने लोगों का अपील का अधिकार तो सुरक्षित रहेगा लेकिन व्यवस्था को भी इन दीमक नुमा नेताओं से बचाया जा सकेगा.
१२. दिल्ली हाई कोर्ट ने विदेशी फंडिंग के आरोपों को लेकर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से कांग्रेस और भाजपा पर उचित कार्रवाई करने को कहा है।

कोर्ट ने गृह मंत्रालय और चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि राजनीतिक दलों की रसीदों की दोबारा जांच करके विदेशी फंडिंग की पहचान की जाए और छह महीने के अंदर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। कोर्ट का यह आदेश वकील प्रशांत भूषण की उस जनहित याचिका पर दिया गया है जिसमें दावा किया गया था कि ब्रिटेन की कंपनी वेदांता और भारत में इसकी सहयोगी कंपनियां स्टरलाइट इंडस्ट्रीज, सेसा गोवा और मालको भारत के राजनीतिक दलों कांग्रेस और भाजपा को कई करोड़ रुपये की फंडिंग कर रही हैं।

हाई कोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि कंपनीज ऐक्ट- 1956 के हिसाब से वेदांता एक विदेशी कंपनी है। इस हिसाब से इसके और इसकी सहयोगी कंपनियों स्टरलाइट और सेसा को विदेशी सोर्स माना जाए। हाई कोर्ट ने कहा कि पहली नजर में लगता है कि कांग्रेस और भाजपा साफ-साफ विदेशी फंडिंग पर लगाई गई रोक का उल्लंघन कर रही हैं क्योंकि स्टरलाइट और सेसा से जो धन मिला है वह कानूनन विदेशी धन है।

जनहित याचिका में वेदांता की 2012 की वार्षिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि 2011-12 में उसने 20.1 लाख डॉलर की राजनीतिक फंडिंग दी। कानूनन कोई भारतीय पार्टी किसी विदेशी कंपनी से फंड नहीं ले सकती।
दोनो बड़ी पार्टियाँ जो ‘आप’ पर तो हमला करती थी पर खुद अपने चंदे का हिशाब नहीं देती थी.
इन दोनों पार्टियों खासकर भाजपा के प्रधान मंत्री के उम्मीदवार श्री नरेंद्र मोदी का पांच सितारा प्रचार का खर्चा, रैलियों में भीड़ का समायोजन आलीशान मंच और हेलिकोप्टर से तूफानी दौरा, उनके भाषणों का लगभग सभी प्रमुख चैनलों द्वारा सीधा प्रसारण और उस पर बहस .. संचार के हर माध्यमों पर मोदी के साथ कमल का विज्ञापन... इन खर्चों का हिशाब कौन देगा?
इन खर्चों का वहन कौन कर रहा ह? चाय पर चौपाल का खर्चा को चुनाव आयोग ने भी संज्ञान में लिया है.
जाहिर है राजनीतिक पार्टियों का निशाना हमेशा दूसरी पार्टियों पर रहता है, वे अपने गिरेबान में झांकने का तो प्रयास करते नहीं हमेशा दूसरे के घरों पर पत्थर फेंकने की लगातार कोशिश होती रहती है वह भी जनता के सामने. परदे के पीछे लुक्का छिप्पी का खेल चलता ही रहता है

१३. सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय को जमानत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपनी सहमति दे दी है लेकिन इसके एवज में शीर्ष कोर्ट ने शर्त भी लगा दी है।

सहारा समूह को अपने प्रमुख सुब्रत राय व फर्म के दो निदेशकों को अंतरिम जमानत पर छुड़वाने के लिए 10,000 करोड़ रुपये देने पड़ेंगे। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को यह आदेश दिया। राय और उनके दोनों सहयोगी 4 मार्च से जेल में बंद हैं।

१४. .गैस की कीमत बढ़ाने पर चुनाव आयोग की रोक
नई दिल्ली। चुनाव आयोग न एक अप्रैल से गैस की कीमतें बढ़ाने पर रोक लगा दी है। चुनाव आयोग ने ये फैसला आम आदमी पार्टी की शिकायत के बाद लिया है। बनारस दौरे पर निकले केजरीवाल ने ट्वीट कर इसके लिए चुनाव आयोग को धन्यवाद दिया है।

गैस की कीमतों पर लगी रोक पर केजरीवाल ने क्या ट्वीट किया- धन्यवाद चुनाव आयोग भारत की जनता को महंगाई की मार से बचाने के लिए, देश में महंगाई बढ़ जाती अगर एक अप्रैल से गैस के दाम बढ़ते। चुनाव आयोग की ये राहत केवल 2 महीने के लिए है जब तक चुनाव खत्म नहीं होते।

-    जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.

Thursday 6 March 2014

राजनीति का सक्रमण काल

पहले रामदास अठावले, फिर उदित राज और अब रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी के साथ गठबंधन कर बीजेपी ने साफ संकेत दे दिया है कि वह ‘सवर्णों की पार्टी’ की छवि से बाहर निकल सबको साथ लेकर चलने को तैयार है. इस चुनाव में 272+ सीटों की अपनी मुहिम के लिए बीजेपी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती. पिछड़े वर्ग के नरेंद्र मोदी को पी. एम. कैंडिडेट बनाकर और मुसलमानों से माफी मांगने के सांकेतिक बयान के जरिए बीजेपी समाज के हर वर्ग तक अपनी स्वीकार्यता बढ़ाने की कोशिश कर रही है. उधर करुणा निधि भी मन बना रहे हैं और मोदी का गुणगान कर एक कदम बढ़ा चुके है. जयललिता क्या करेगी वे ही जानें. खिचड़ी तो पक ही रही है..टीआरएस(तेलंगाना राष्ट्र समिति) में भी नई पीढ़ी ‘मोदी इफेक्ट’ के सम्मोहन में दिख रही है. टीआरएस के मुखिया के चंद्रशेखर राव की बेटी कविता बीजेपी से गठबंधन के पक्ष में हैं. इस तरह ये सभी लोग मान चुके हैं कि मोदी प्रधान मंत्री बनने वाले हैं, इसलिए सत्ता के साथ रहने में ही भलाई है, नहीं तो आज सीबीआई जो कांग्रेस का तोता बनी हुई है, क्या पता कल को मोदी का तोता बन जाय …हवा का रुख देखकर अपना रास्ता तय करना बुद्धिमानों का लक्षण है और हमारे नेता बुद्धिमान तो हैं ही.
रिटायर्ड जनरल वी. के. सिंह भाजपा में शामिल होते ही शिंदे को कोर्ट में खींचने की धमकी देने लगे. किरण बेदी किस उधेरबुन में है? जनरल तो रक्षा मंत्रालय सम्हालेंगे, आप गृह मंत्रालय ले लेना और ‘आप’ पार्टी को उसके दफ्तर समेत क्रेन से उठवाकर मोदी के चरणों में डाल देना.. अन्ना जी ने तो साध्वी ममता को ढूंढ लिया है. अब आपको भी अपना संरक्षक ढूंढ ही लेना चाहिए. क्या पता नयी सरकार में समाज सेवा का अवसर ही न मिले. जब सबकुछ ठीक होगा, फिर सामाजिक संस्था की क्या जरूरत होगी.
बाबा शिवानंद तिवारी नीतीश बाबू से प्रताड़ित होकर हो सकता है पुराने घर (राजद) में लौट आयें. भाजपा तो उन्हें लेने से रही, क्योंकि भाजपा में प्रवक्ताओं की कमी नहीं है और ये बेचारे प्रवक्ता का ही अच्छा काम करते हैं. कभी कभी सच भी बोल जाते हैं. बड़ा गड़बड़ है, राजनीति में सत्य की कोई जगह नहीं होती! सत्य का समय रहा होगा कभी, पर अब तो सत्य कही दीखता नहीं. रोज बयान बदलने वाले , विवादास्पद बयान देनेवालों की ही खूब चलती है.
इन दिनों नेता पुत्र/पुत्री अपने पिता के लिए जनाधार तैयार करने में जुटे हुए है. बीजेपी-एलजेपी गठबंधन में पासवान के बेटे चिराग पासवान ने अहम भूमिका निभाई थी. चंद्रशेखर राव की बेटी कविता पार्टी के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ की मुखिया भी हैं। लालू के पुत्रद्वय अपने पिता के संरक्षण में राजद की नैया पार लगाने की कोशिश में हैं. तो चिराग पासवान ने अपने पिता रामविलास के लिया उजाला किया. शिबू पुत्र हेमंत शोरेन झाड़खंड सम्हाले हुए हैं, तो पहले से ही ज्योतिरादित्य सिंधिया, वसुंधरा राजे सिंधिया और सचिन पायलट ने कमान सम्हाला ही है. सुप्रिया सुले अपने पिता शरद पवार की नक्शेकदम पर आगे बढ़ रही है. संदीप दीक्षित अपनी माँ शीला दीक्षित से कम कहाँ हैं. ओम प्रकाश चौटाला, ठाकरे परिवार, अखिलेश यादव, करुनानिधि की बेटी कनिमोझी और भी काफी लोग. फिर सिर्फ राहुल गांधी क्यों बदनाम हैं भाई! मोदी का आगे पीछे कोई नहीं है पर अटल जी की भांजी करुणा शुक्ला तो हैं न!
अब केजरीवाल को कौन समझाए… चले हैं राजनीति के कीचड को साफ करने…. यानी कमल के जड़ पर ही प्रहार! गलत बात ! 3M के पीछे लगे हुए हैं, मोदी, मुकेश (अम्बानी) और साथ में मीडिया भी … राजनीति में आए हैं, तो राजनीति करिये… जैसा सभी दल कर रहे हैं, नहीं तो तीसरा मोर्चा में मिल जाइये …हो सकता है वहाँ बहुत सारे प्रधान मंत्री के दावेदारों में आप सर्वसम्मत्ति से चुन लिए जाएँ, जैसे देवेगौड़ा को चुना गया था. आप अदना सा ‘आम आदमी’ बड़े बड़े पर्वतों से टकरायेंगे? नरेंद्र मोदी, राहुल को आपने साम्प्रदायिक और भ्रष्टाचारी बता दिया, ऊपर से मुकेश अम्बानी, अदानी आदि को घसीटने की क्या जरूरत थी? जिस मीडिया ने आपको इतना महत्व दिया, उससे भी दुश्मनी मोल ले ली. दिल्ली में आपको मौका मिला था वहां से भी दुम दबाकर भागे … सभी आपको भगोड़ा बता रहे हैं, पागल या येड़ा बतला रहे हैं. अब आपका रोड शो कितना रंग लाता है, वह तो जनता का मत ही बतलायेगा. राहुल जी भी तो रोड शो कर रहे हैं, पर मोदी का जलवा तो देखिये कि सभी लोग उनकी आकर्षण शक्ति से खिंचे चले आ रहे हैं. कभी लता मंगेशकर तो कभी राखी सावंत, मल्लिका शेरावत तो कभी मेघना पटेल भी. गजब का भाषण देते हैं श्री मोदी जी, उनके आगे पीछे सचमुच कोई नहीं दीखता कोई नेता भी नहीं बुजुर्ग लोग अब सन्यास ही ले लें तो अच्छा है, नौजवानों में नयी जोश फूंकने वाले, महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने वाले, दलितों और महादलितों का यह पिछड़ा नेता जरूर ही देश को पिछड़ेपन से बाहर ले जायेगा ..किसी को कोई संदेह है तो एक बार हेलिकॉप्टर से उनकी सभाओं में जूट भीड़ को देख ले …होश उड़ जायेंगे.पसीने छूटने लगेंगे.अनायाश ही उसके मुंह से भी निकल पड़ेगा मोदी जी की जय. क्योंकि अब यह पार्टी सिर्फ अगड़ों और बनियों की नहीं है पूरा भारत इसके अंदर है एक मात्र राष्ट्रवादी पार्टी. बाकी तो सभी भेड़चाल वाली है इन सबसे मुक्ति पानी ही होगी..गुजरात की मिट्टी,, गुजरात का पानी,गुजरात की बिजली, गुजरात का उद्योग, गुजरात की उपज, गुजरात की खुशबू पूरे देश में लानी ही होगी. सरदार वल्लभ भाई पटेल भी तो गुजराती ही थे, महात्मा गांधी,गुजराती ही थे,और भी कई महात्मा और उद्योगपति गुजरात से ही हैं. धन्य है हमारा गुजरात जिसने इतने सारे महान लोगों को पैदा किया! …सिर्फ साठ महीने दीजिये इस चायवाले को ..देखिये कैसे कायाकल्प करता है इस देश का. अरे रे, अश्विनी चौबे जी, गिरिराज बाबू, डॉ.सी पी ठाकुर साहब, आपलोग नाराज मत होइए आप तो हमेशा से अपने थे, हैं और रहेंगे, घर आए मेहमान रामविलास जी का स्वागत तो कर लेने दीजिये….
बेचारे लालू को जेल से बाहर निकलवा कर कांग्रेस अपने जनाजे को कन्धा देने वालों में चार सांसद का जुगाड़ कर पाएं ये मनोकामना रही होगी…एक बार लालू जी ने मजाक में कहा भी था -अंत में कन्धा देने के लिए चार आदमी की ही जरूरत होती है न! चार में एक स्वयं को गँवा चुके हैं. हो सकता है वहाँ पर अपने बेटे को या पत्नी को जितवा पाएं या फिर और कोई… पर यह क्या हुआ गठबंधन से लठबंधन पर उतर आए …बड़ा गड़बड़ है. अपनी गलतियों से भी लोग नहीं सीखते तो इसमे मोदी जी की क्या गलती हो सकती है? मोदी जी की गलती सुधारने के लिए भाजपा का पूरा कुनबा है, संत समाज है, बाबा रामदेव है और अब तो श्री श्री रविशंकर भी सामने आ गए हैं. आशाराम को जेल में जाने से बहुत सारे अच्छे संत मोदी जी के साथ आ गए और संतों के संत परम संत अशोक सिंघल और स्वामियों के स्वामी सुब्रमण्यम स्वामी. भारत के रक्षक जनरल वी के सिंह. पर आपके यहाँ तो दूसरे दर्जे/दूसरी पंक्ति का कोई नेता भी नहीं. बेचारे अकेले लालू कितना लाठी भांजेंगे, वह भी अभी जमानत पर हैं, इसलिए …अगर गठबंधन न हुआ तो क्या फिर से जेल जाने की तैयारी नहीं करनी पड़ेगी?
राहुल बाबा,कुलियों से मिल रहे हैं महिलाओं से खुद को चुमवा रहे हैं और अब्र रिक्शेवाले पर उन्हें दया आयी है. आखिर ये लोग ही तो हैं अब उनके वोट बैंक. दलित, पिछड़ा और मुस्लिम भी अब इनके न रहे .. न ये किसी के ही रहे, कोई इनका न रहा!
अभी और भी बहुत कुछ देखने सुनने को मिलेगा, जागरूकता बड़ी है, मतदान का प्रतिशत बढ़ा है …ऐसे में यह उम्मीद की जानी चाहिए कि सभी पार्टियाँ अच्छे उम्मीदवारों को टिकट देगी और मतदाता स्वविवेक से सही उम्मीदवार का चयन करेंगे. सही उम्मीदवार का चयन देश में अमन-चैन ला सकता है, तो गलत बेडा गर्क भी कर सकते हैं. कर्मचारियों का महंगाई भत्ता तो बढ़ता है, पर पेट्रोल डीजल के लगतार बढ़ते दाम महंगाई को और बढ़ा देता है. अब लोक सभा उम्मीदवार को अपने चुनाव प्रचार के लिए कानूनी रूप से अधिकतम राशि की सीमा ४० लाख से ७० लाख कर दी गयी है ..करिए जमकर प्रचार! करिए रेल बंद, बिहार बंद या झाड़खंड बंद चुकाना तो आप को ही है… चुनाव से पहले या बाद में. जय हिन्द! जय भारत! जय लोकतंत्र!
जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर