Wednesday 5 February 2014

सचमुच बसंत आ गया है!

जागरण मंच पर प्रणयोत्सव पर्व का आयोजन, विभिन्न कवियों/लेखकों(महिला वर्ग भी) की मादक कविताएं, दुष्यंत शकुंतला, उर्वसी-पुरुरवा, मेनका श्रृंगार और विश्वामित्र का समर्पण, वासंती हवा, सरसो के खेत में युवती, फूलों का संसार, गुलाब और डालिया, भ्रमर और तितलियाँ सब कुछ देख/सुन/पढ़ कुछ-कुछ तो होता ही है …पर देश की राजनीतिक हालात इन सब पर सोचने का समय नही देते… क्या करें, आंगन के आम के पेड़ में बौर निकल आए, शाल पुष्प भी अपनी मादक गंध से सराबोर करते रहे, फिर भी कुछ अहसास हो ही नहीं रहा था.
अब आया बसंतपंचमी का त्यौहार, छोटी बड़ी बच्चियां, युवतियां भी वासंती साड़ी में लिपटी नजर आयी, दक्षिण भारत महिला समाज विद्यालय की मुस्लिम बाला अलीना हुसैन ने वीणा वादिनी का रूप धारण कर मंच पर विराजमान हो गयी, निराला की पंक्तिया वर दे वीणा वादिनी वर दे! गूंजने लगी, सोहन लाल द्विवेदी की ‘पल में पतझड़ का हुआ अंत,आया बसंत आया बसंत’, चीख चीख कर चिल्लाने लगीं,सुभद्रा कुमारी चौहान की ‘वीरों का कैसा हो बसंत’! भी अपना राग सुनाने लगी, सुमित्रानंदन पंत के ‘दीप्त दिशाओं के वातायन’ भी खुल गए पर मुझे जरा भी अहसास नहीं हुआ.
तस्लीमा नसरीन की आम औरत पार्टी बनाने की मांग,शबाना आजमी को डॉक्टरेट की मानद उपाधि, किरण बेदी का अपने पति ब्रिज बेदी से हटकर अलग मोदी के प्रति सदभाव और केजरीवाल से तकरार,बिहार की समाज कल्याण मंत्री परवीन अमानुल्लाह का नितीश कुमार से मोह भंग के समय मादक मुस्कान, कुछ कुछ इशारा तो कर रहे थे.उसके बाद खबर आयी अबु सलेम की ट्रैन में २७ वर्षीय युवती से निकाह, दीपिका पादुकोण को मिल रहे ढेरों पुरस्कार और अब १६ करोड़ की मुंहमांगी इकरार …. ‘अहाना देओल’ की शादी में आशीर्वाद देते नरेंद्र मोदी और बाबा रामदेव ….. फिर भी मेरा मन न जाने क्यों मानने को तैयार हो ही नहीं रहा था, बसंत आ गया है!
लेकिन अब मुझे पक्का बिस्वास हो गया कि बसंत आ गया है और यह बद्रीनाथ में भी अपनी घुसपैठ कर चूका है. चारो धामों में एक बद्रीनाथ धाम के पुजारी श्री केशव प्रसाद नम्बूदरी को आखिर एक २८ वर्षीय शादी शुदा महिला ने पथभ्रष्ट कर ही दिया, पहले उसने सोमरस(आधुनिक बियर) पिलाई और उसे कामांध बना दिया. भगवान शंकर भोले बाबा को भी इसी अनंग ने अपने पुष्प बाण से घायल कर दिया था और उनकी (भोले बाबा की) समाधि(तपस्या) भंग कर दी थी, मेनका ने विश्वामित्र को विवश कर दिया था और गौतम ऋषि की पत्नी अहल्या ने सहस्त्राक्ष (इंद्र) को.
बसंत पंचमी के बाद से ही फाल्गुन की शरुआत मान ली जाती है और ढोल मंजीरे पर फाग गाए जाने लगते हैं. यह बसंत पतझड़ में बने ठूंठ में भी नव पल्लव की आभा बिखेर देते हैं और बूढ़े पेड़ भो हरे हो जाते हैं. शिशिर की समाप्तिके बाद वासंती हवा जन जीवन में मादक रस का संचार कर देती है. कवियों के दिन लौट आते हैं, बसंतपंचमी की वेला में विद्यालयों, महाविद्यालयों में भी यौवन लौट आता है. बद्रीनाथ के बाबा(पुजारी) भी तो उसी हाड़ मांस के बने होते हैं …पर बुरा हो इस मीडिया घराने का हमेशा शोर मचाते रहते हैं, जबकि उन्हें भी उस तरह की ख़बरों में रोचकता पैदा करने की खूब लालसा रहती है. दर्शक भी तो अपने बच्चों से नजरें बचाकर कान और तिरछी दृष्टि उधर ही गराए रखते हैं.
इन सारी बातों का निचोड़ यही है कि बसंत आ गया है भाई! अब उठाओ ढोल मंजीरा और करो होली का इंतज़ार! इधर मंच भी तैयार और ब्लॉगर भी तैयार!! ….अरे रे गड़बड़ हो गया वेलेनटाइन बाबा को तो मैं भूल ही गया … बकील बाबू ( मुनीश बाबू) ‘रोज डे’ से शुरू कर प्रोपोज डे, चॉकलेट डे, हग डे, टेडी बियर डे, प्रोमिस डे, किश डे,’वेलेनटाइन डे’,… सब मनाएंगे पर मर्यादा के साथ, यानी अपनी पत्नी के साथ… एक गोभी तो बनता ही है कम से कम …मेरे जैसा आदमी भी ‘फूलगोभी’ को देख बड़ा खुश होता है, खुद खाइये और पड़ोसी को भी खिलाइये …फूलगोभी बेचने वाला अपने ‘बड़े गोभी’ का प्रचार इसी तरह से करता है!
आजकल सब्जी-बाजार में सब्जियों की भी भरमार है… अब कोई नहीं कहता सब्जियां सस्ती हो गयी है, महंगी होने पर तो ‘खबर’ बन ही जाती है.
जय हो बाबा बसन्त की! ॐ शांति शांति शांति!

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