Friday 15 February 2013

कुम्भ स्नान और मेरी श्रीमती जी!

आज जैसे ही ऑफिस से लौटा, अभी जूते उतारने के लिए सोफे पर बैठता कि श्रीमती जी जल्दी से आकर गले लग गयीं…. मैं तो अकबका गया, कोई बात न चीत, न कोई इजहार सीधे गले लग गयीं. इतना प्यार मैंने पहले (इधर हाल के दिनों में) कभी महसूस नहीं किया था! मुझे थोड़ी सी शंका हुई. थोड़ी देर बाद जब हम अलग हो गए तो पूछ ही डाला- “आज क्या कोई खास बात है? बहुत प्यार जता रही हो!” … श्रीमति जी तुनक कर बोली – “हमेशा झिड़कते रहते हो. तुम्हे कुछ पता भी है, आज आलिंगन दिवस है! मैंने टी वी में सुना है और अखबार में भी पढ़ा है!”
मेरा माथा ठनका – अब बुढ़ापे में यही सब याद रखना बाकी रह गया है! तभी मुझे वो विज्ञापन याद हो आया जिसमे एक बुजुर्ग ब्यक्ति अपनी बुजुर्गा (पत्नी) को गुलाब देकर कहता है ‘आइ लव यू’! और बुजुर्गा कहती हैं- “बीस रुपये का फ्लावर! कौली फ्लावर ही ले आते!” कितनी समझदार हैं, वो बुजुर्ग महिला अगर सामने होती तो जरूर चरण चूम लेता! इधर मेरी श्रीमती को ‘आलिंगन और वेलेंटाईन डे’ की याद आ रही है!
फिर मैंने टी वी चालू कर नए समाचार जानना चाहा. तभी श्रीमतिजी चाय और पकौड़े लेकर हाजिर हो गयीं. चाय तक तो ठीक था, पर पकौड़े भी … मुझे थोडा शक हुआ !!! अब वे सामने बैठ गयी और कहने लगी – “सुनते हो!” मैंने टी वी से ऑंखें हटाई – “कहा जाय” – “क्यों न हमलोग भी कुम्भ नहाने चलें, इलाहाबाद में. जरा देखो न ट्रेन में जगह है, तो टिकट अभी ही बुक करा लो!”
मैंने कहा – “देख चूका हूँ अगले एक महीने तक वेटिंग लिस्ट है! तो क्या हुआ वेटिंग लिस्ट में ही ले लो, इतनी भीड़ है तो एक्स्ट्रा बोगी तो लगेगी ही!” “अगर नहीं लगी तो?” “तो किसी तरह घुसकर चले जायेंगे. इतने सारे लोग जा रहे हैं. वहां धाम पर जाने में अगर दिक्कत भी होती है, तो तपस्या ही समझी जायेगी!”
मैंने सोचा – शायद इलाहाबाद के हादसे के बारे में श्रीमती को पता नहीं है! -”पता है न अभी दो दिन पहले ही (१० फरवरी को) भयंकर हादसा हुआ है इलाहबाद रेलवे स्टेसन पर!”
“पता है, तभी तो कह रही हूँ! अगर कुम्भ नहाकर लौट आए तो आगे की जिन्दगी या अगले जन्म में अच्छे फल की प्राप्ति होगी और अगर हादसे के शिकार हुए तो धाम पर मरने से तो सीधे स्वर्ग का रास्ता ही बनता है …ऊपर से अगर मुआवजा मिल गया तो हमारे बच्चे की बाकी की जिन्दगी अच्छे तरीके से कट जायेगी!”
मै अवाक् होकर अपनी पत्नी का चेहरा देख रहा था …वह मुस्कुरा रही थी!… मैंने मन में सोचा – “वाह रे माता! हे भारतीय नारी! इसीलिये आप पूजने योग्य हो!”

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