Monday 21 January 2013

हाय राम क्रिकेट का है जमाना!

शाम को टहलते हुए मैंने देखा की शर्मा जी अपने बच्चे के साथ किकेट खेल रहे हैं! मैंने चुटकी ली – “लगता है धोनी के रिटायर होने से पहले आप दूसरा धोनी तैयार कर लेंगे, क्या शर्मा जी?”
शर्मा जी मुस्कुराते हुए बॉल को हाथ में लेकर यूं ही घुमाने लगे.-” बिलकुल सही समझा है आपने! मैंने अपने बेटे का नाम इंग्लिश मीडियम में लिखा दिया है. वहां यह अंगरेजी बोलना सीख जायेगा और क्रिकेट में पारंगत हो जाय, बस और मुझे कुछ नहीं चाहिए!”
मैंने पूछा – “अचानक ऐसा परिवर्तन आपमें कैसे आ गया? हममे से ज्यादातर लोग तो अपने बेटे को डाक्टर, इंजिनियर या वकील बनाना चाहते है … आप तो ‘लीक’ से हटकर सोचने लगे!”
शर्मा जी चहकते हुए बोले- “वही तो, एक डाक्टर, इंजिनियर या वकील कितना कमा लेगा, जितना भी कमाएगा महीने के अंत में सब्जी के लिए अपनी पत्नी से ही पैसे मांगेगा. बेटी की शादी में दहेज़ के लिए कर्ज लेगा. सामाजिक प्रतिष्ठा बचाए रखने के लिए भी कर्ज लेगा. पर एक क्रिकेटर कितना कमा लेता है, इसका अंदाजा है आपको?… पैसे की बात छोड़िये … उसकी कितनी इज्जत है, समाज में और देश में. वह जीत कर आए तो जश्न! हार कर आने पर भी नयी रणनीति बनाने की सलाह हर आदमी देता है, जिसने क्रिकेट का नाम भर सुना है.”
“अभी रांची में अन्तर्राष्ट्रीय एक दिवसीय मैच हुआ. हमारी धोनी की सेना ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिये. ऐसी मजबूत जीत की हमारा ‘टीम इण्डिया’ अंतर्राष्ट्रीय एक दिवसीय क्रिकेट के पहली पांवदान पर पहुँच गया. वह भी कब जब झारखण्ड यानी रांची में कोई सरकार नहीं है … राष्ट्रपति शासन लागू है!…. रांची के चारो तरफ ‘लैंड माइन’ बिछे हुए हैं. उससे निपटने के लिए हमारी पुलिस ढाल बनी हुई है. उसके बाद आम आदमी भी … क्या मजाल जो किसी खिलाड़ी का कोई बाल भी बांका कर सके. यही नक्सली किसी भी पैसे वाले से लेवी मंगाते हैं. पर आपने कभी सुना धोनी या किसी क्रिकेट प्लेयर से लेवी मांगी गयी हो. दरअसल वे भी क्रिकेट प्रेमी हैं, जंगल में अपने लैपटॉप पर मैच देखते हैं.”
“पिछले सप्ताह रांची या झाड़खंड की कहें तो कानून ब्यवस्था भी बिलकुल सही रही. कही कोई बलात्कार या लूट-पाट की घटनाएँ नहीं हुई. इलाहाबाद के कुम्भ में आए विदेशी शैलानी भी दो दिन के लिए रांची में आ धमके.सभी होटल हाउस फुल! कांग्रेस का ‘चिंतन शिविर’ भी मैच के दिन तक फीका ही रहा. जब हम मैच जीत गए, उसके बाद ही राहुल बाबा का सम्मोहक भाषण हुआ. मेरा मानना है कि यह क्रिकेट मैच हर दिन कहीं न कहीं होना चाहिए ! मीडिया भी क्रिकेट की ही ख़बरें दिखायेगा. बलात्कार, महंगाई जैसे विषयों को किनारे खड़ा कर देगा. आपने भी सुना होगा कि रांची के स्टेडियम में ४० रुपये लीटर पानी और ५० रुपये के समोसे खाने में किसी को भी कष्ट नहीं हुआ … सोचिये कितने लोगों की आमदनी अचानक बढ़ गयी. डॉ. मनमोहन सिंह को इस खेल में भी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देना चाहिए. हमारा आर्थिक विकास दर क्रिकेट की बदौलत ही आगे बढ़ सकता है.
एक चीज और जो आज राहुल बाबा ने सबको कही. क्रिकेट (कांग्रेस) का डी एन ए हिन्दुस्तान है. एक इसी के नाम पर पूरा देश एक रहता है. न कोई जाति, न कोई धर्म, नहीं आतंकवाद, जिसे देखो अपने माथे पर, गाल पर, पेट पर, सायकिल पर, मोटर सायकिल पर, कार पर, ट्रक पर, बाल पर, बैट पर तिरंगा बनाये नजर आयेगा. इतना राष्ट्रीय भाव तो हिन्दुस्तान-पाकिस्तान के साथ लड़ाई में भी नहीं होता . अब तो मुझे लगने लगा है कि अगर १६ दिसंबर को भी अगर दिल्ली में मैच हुआ होता, तो शायद वे युवा प्रेमी युगल फिल्म के बजाय मैच ही देखने जाते और वह अनहोनी न होती जिससे आज तक हम सभी शर्मशार है. इसलिए क्रिकेट परमो धर्म है, क्रिकेट से ही वसुधैव कुटुम्बकम, क्रिकेट से राष्ट्रीयता, संस्कार आदि सभी में निरंतर सुधार होते रहेंगे! अब चलिए मोहाली वहां का नजारा देखेंगे. वैसे मोहाली या रांची को विश्व में कोई नहीं जानता, पर क्रिकेट के साथ प्रेम रखने वाले इन दोनों जगहों को भी अच्छी तरह जानने लगे हैं.”
मुझे शर्मा जी के ‘क्रिकेट दर्शन’ पर आश्चर्य हो रहा था … तब तक चाय का प्याला और स्नैक्स की प्लेट भी खाली हो गयी थी, जिसे शर्मा जी की मिसेज ने हम दोनों के बीच रख दिया था. शर्मा जी का बेटा अपने होम वर्क में कठिनाई महसूस करते हुए पास में आकर खड़ा हो गया था और तब मैंने प्रफ़्फ़ुल्लित मन से शर्मा जी से विदा ले ली! मेरे मन में एक फ़िल्मी धुन के तर्ज पर गाना याद आने लगा था – “मैं भी हुआ क्रिकेट का दीवाना, हाय राम क्रिकेट का जमाना!”

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